आम की बागवानी
दोस्तों आज हम बात करेंगे, आम की बागवानी के विषय में, आम का नाम सुनते ही मुंह में पानी आना शुरू हो जाता है। साल भर आम का इंतजार लोग काफी बेसब्री से करते हैं। लोग आम का इस्तेमाल जूस, जैम, कचरी, आचार विभिन्न विभिन्न तरह की डिशेस बनाने में आम का इस्तेमाल करते हैं।आम भाषा में कहें तो आम के एक नहीं बहुत सारे फायदे हैं। यहां तक की कुछ दवाइयां ऐसी भी हैं। जिनमें आम का इस्तेमाल किया जाता है। आमकीफ़सल की पूरी जानकारी जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें।
आम की फ़सल के लिए भूमि एव जलवायु :
आम की फसल किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इसलिए इसकी जलवायु और भूमि का खास ख्याल रखना चाहिए। आम की फसल के लिए भूमि एवं जलवायु का चयन किस प्रकार करते हैं जानिए: आम के फसल की खेती दो तरह की जलवायु में की जाती है पहली समशीतोष्ण एवं उष्ण जलवायु, आम की खेती के लिए यह दोनों जलवायु बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार आम के फसल की अच्छी प्राप्ति करने के लिए इस का तापमान लगभग 23.8 से 26.6 डिग्री सेंटीग्रेट सबसे अच्छा तापमान होता हैं। आम की खेती किसी भी तरह की भूमि यानी जमीन में की जा सकती है। लेकिन ध्यान रखें कि आम की खेती के लिए जलभराव वाली भूमि ,पथरीली भूमि तथा बलुई वाली भूमि आम की फसल उगाने के लिए अच्छी नहीं होती होती। आम की फसल के लिए सबसे अच्छी दोमट भूमि होती है और इन में जल निकास काफी अच्छी तरह से हो जाता है।ये भी पढ़ें: आम की बागवानी से कमाई
आम की प्रजातियां :
आम की एक नहीं बल्कि विभिन्न विभिन्न प्रकार की प्रजातियां मौजूद है। यह प्रजातियां कहीं और नहीं हमारे देश में उगाई जाती हैं। और इनका स्वाद भी अलग अलग होता है। आम की प्रजातियां कुछ इस प्रकार है जैसे: लंगड़ा आम, दशहरी आम, चौसा आम, बाम्बे ग्रीन, अलफांसी, तोतापरी आम ,हिमसागर आम, नीलम, वनराज ,सुवर्णरेखा आदि आम की प्रजातियां है। इन प्रजातियों की जानकारी हमें कृषि विशेषज्ञों द्वारा दी गई है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार आम की कुछ और भी नई प्रजातियां उगाई जा रही हैं। जो इस प्रकार हैं जैसे: आम्रपाली, दशहरी 51, दशहरी 5 ,मल्लिका, अंबिका, राजीव ,गौरव, रामकेला और रत्ना आदि आम की नई प्रजातियों में शामिल हैं।खाद एवं उर्वरक का इस्तेमाल :
आम के पेड़ों के चारों तरफ जुलाई के महीनों में, नलिका बनाई जाती है और उन नलिका में 100 ग्राम प्रति नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फोरस की मात्रा इन नलिका मे दी जाती है। मृदा अवस्था सुधार के अंतर्गत भौतिक और रासायनिक में परिवर्तन लाने के लिए 25 से लगभग 30 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खादों का इस्तेमाल किया जाता है। पौधों में सड़ी हुई खाद देना बहुत ही ज्यादा उपयोगी होता है। किसान जुलाई और अगस्त के महीने में जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं। इन खादो का इस्तेमाल 25 ग्राम एजीसपाइरिलम और 40 किलोग्राम गोबर की खाद के साथ अच्छी तरह से मिक्स करने के बाद खेतों में डालने से आम की उत्पादकता काफी अच्छी होती है।ये भी पढ़ें: आम के फूल व फलन को मार्च में गिरने से ऐसे रोकें : आम के पेड़ के रोगों के उपचार
आम की फसल की सिंचाई :
आम की फसल के लिए सिंचाई किस प्रकार करते है? जब किसान बीज रोपण कर लेते हैं तो लगभग प्रथम सिंचाई 2 से 3 दिन के भीतर भूमि की आवश्यकता अनुसार कर लेनी चाहिए। खेतों में आम के छोटे-छोटे फूल आने शुरू हो जाए तो दो से तीन बार सिंचाई कर लेनी चाहिए। किसान खेतों में पहली सिंचाई पेड़ लगाते समय तथा दूसरी सिंचाई आम की कली जब अपना गोलाकार धारण कर ले तब की जाती है। तीसरी सिंचाई कली पूरी तरह से खेतों में फैल जाए तब करनी चाहिए। सिंचाई नालियों द्वारा ही करनी चाहिए क्योंकि इस क्रिया द्वारा पानी की बचत होती है किसी भी तरह का जल व्यर्थ नहीं होता हैं। इसीलिए सिंचाई की यह क्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण है।आम की फसल में निराई गुड़ाई और खरपतवारों की रोकथाम :
आम की फसल के लिए खेतों में निराई गुड़ाई करना आवश्यक होता है क्योंकि निराईगुड़ाई के द्वारा खेत साफ-सुथरे रहते हैं। आम की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खेतों में साल में दो बार अच्छी गहरी जुताई करते रहना चाहिए। क्योंकि इस प्रकार जुताई करने से किसी भी तरह का खरपतवार और भूमि कीट नहीं लगते हैं। भूमि में लगने वाले कीटनाशक कीट आदि भी नष्ट हो जाते हैं। खेतों में घास का नियंत्रण बनाए रखना आवश्यक होता है जिससे कि समय-समय पर खेतों में घास निकलती रहे।आम की फसल से होने वाले फायदे :
किसानों के लिए आम की फसल बहुत ही आवश्यक होती है, क्योंकि इसमें ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती हैं कम सिंचाई पर ही या काफी भारी मात्रा में उत्पादन करते हैं। इसीलिए किसानों के लिए आम की फसल लाभदायक फसलों में से एक है। किसानों के लिए यह बहुत बड़ा फायदा है आम की बागवानी करने का क्योंकि इसमें ज्यादा जल की जरूरत नहीं पड़ती है। आम की खेती शुष्क भूमि पर की जा सकती है। आम के साथ ही साथ इसके पत्ते, लकड़ियां आदि भी बहुत ही उपयोगी होते हैं। हिंदू धर्म में आम के पत्तों द्वारा पूजा पाठ किया जाती हैं। इसीलिए यह कहना उचित होगा कि आम का पूरा भाग बहुत ही ज्यादा उपयोगी होता है। मार्किट में उचित दाम पर आम बेचकर किसान अच्छा आय निर्यात कर लेते हैं। आम की फसल आय निर्यात का सबसे महत्वपूर्ण और अच्छा साधन होता है किसानों के हित में, आम की फ़सल में किसी भी तरह की कोई लागत नहीं लगती है और ना ही किसी तरह का कोई नुकसान होता है।आम की विशेषताएं :
आम के फल में विटामिन ए की मात्रा होती हैं। सभी फलों के मुकाबले आम में विटामिन ए की भरपूर मात्रा पाई जाती है। ना सिर्फ विटामिन ए, बल्कि आम में और भी तरह के आवश्यक और महत्वपूर्ण विटामिंस मौजूद होते हैं जैसे : इसमें आपको विटामिन बी, विटामिन सी और विटामिन ई, की मात्रा प्राप्त भी होती है। विटामिंस के साथ ही साथ आम में आयरन तथा पोटैशियम, मैग्नीशियम और कॉपर जैसे आवश्यक तत्व भी मौजूद होते हैं।दोस्तों हम उम्मीद करते हैं हमारा यह आम की फसल वाला आर्टिकल आपके लिए बेहद ही फायदेमंद साबित होगा। यदि आप हमारे इस आर्टिकल से संतुष्ट है और आगे आम से जुड़ी जानकारी जानना चाहते हैं। तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करते रहें। धन्यवाद।